♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

चारा घोटाले की तर्ज पर मध्यप्रदेश में राशन घोटाला! बाइक-ऑटो के नंबर पर बने ट्रकों के बिल

अजब एमपी गजब एमपी


मध्यप्रदेश में टेक होम राशन स्कीम में बड़े पैमाने पर घोटाले की बात सामने आई है. राज्य के महालेखाकार ने इस योजना में फर्जीवाड़े की तरफ इशारा किया है. रिपोर्ट के मुताबिक जिन ट्रकों से 1100 टन के पोषण आहार (राशन) का परिवहन बताया गया है, वे असल में मोटर साइकिल और स्कूटर निकले हैं. यानी कंपनियों ने मोटरसाइकिल से ट्रक की क्षमता वाला पोषण आहार ढोने का अविश्वनीय काम किया है.मध्यप्रदेश में पोषण आहार बांटने में बड़ी गड़बड़ियां सामने आई है, ये बिहार के चारा घोटाले की तरह ही है. इस बात का खुलासा अकाउंटेंट जनरल की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 110.83 करोड़ रुपए का पोषण आहार तो सिर्फ कागजों में ही बंट गया है.रिपोर्ट के मुताबिक जिन ट्रकों से 1100 टन के पोषण आहार का परिवहन बताया गया है, वे असलियत में मोटर साइकिल और स्कूटर निकले हैं, यानी कंपनियों ने मोटरसाइकिल से ट्रक की क्षमता वाला पोषण आहार ढोने का अविश्वनीय काम किया है. यही नहीं, फर्जी परिवहन के लिए कंपनियों को 7 करोड़ रुपए भी अफसरों ने दे दिए हैं। ऑडिटर जनरल ने इसकी जांच की तो अब हड़कंप मच गया है। प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत काम करने वाली आंगनबाड़ियों में कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार वितरित किया जाता है. पोषण आहार पहुंचाने की जिम्मेदारी निजी कंपनियों को दी गई है। ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियों ने परिवहन के लिए जिन ट्रकों के नंबर दिए थे, उनके रजिस्ट्रेशन नंबर की जांच मध्य प्रदेश समेत उन तमाम राज्यों की परिवहन विभाग की वेबसाइट से की गई, जहां के वे बताए गए थे. इन वेबसाइट पर ट्रक के नंबर स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार और ऑटो के पाए गए. यानी कंपनियों ने पोषण आहार का वितरण करने की बजाय सिर्फ कागजों में एंट्री दिखा दी।
जांच रिपोर्ट में भोपाल, छिंदवाड़ा, धार, झाबुआ, रीवा, सागर, सतना और शिवपुरी जिलों में करीब 97 हजार मैट्रिक टन पोषण आहार स्टॉक में होना बताया था. जबकि करीब 87 हजार मैट्रिक टन पोषण आहार बांटना बताया. यानी करीब 10 हजार टन आहार गायब था. इसकी कीमत करीब 62 करोड़ रुपए है।

इसी तरह शिवपुरी जिले के दो विकासखंडों खनियाधाना और कोलारस में सिर्फ आठ महीने के अंदर पांच करोड़ रुपए के पोषण आहार का भुगतान स्वीकृत कर दिया. इनके पास स्टॉक रजिस्टर तक नहीं मिला. इसके चलते पोषण आहार के आने-जाने की कोई एंट्री या पंचनामा नहीं मिला. यही नहीं, बिना किसी प्रक्रिया के अधिकारियों ने फर्मों को पूरा भुगतान कर दिया।प्रदेश सरकार ने पोषण आहार की गुणवत्ता की जांच एक स्वतंत्र लैब से भी कराई, इसमें पाया गया कि प्रदेश की विभिन्न फर्मों ने करीब 40 हजार मैट्रिक टन पोषण आहार घटिया गुणवत्ता वाला बांट दिया है.।इसके एवज में अफसरों ने करीब 238 करोड़ रुपए का भुगतान भी कर दिया. फिर भी, घटिया गुणवत्ता का पोषण आहार सप्लाई करने वाली फर्मों के खिलाफ कोई कार्रवाई नही की. इतना ही नहीं जिम्मेदार अधिकारियों से इस संबंध में कोई पूछताछ भी नहीं की गई।

इस रिपोर्ट पर राज्य सरकार का पक्ष भी सामने आया है. मध्यप्रदेश सरकार के अधिकृत प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि रिपोर्ट की जांच की जाएगी, फिलहाल इसका अंतिम निष्कर्ष ना निकाला जाए. अभी जो बातें बतायी गई हैं, उसकी स्क्रूटनी होने के बाद तथ्य सामने आएंगे। मिश्रा ने आगे कहा कि AG की रिपोर्ट अंतिम नही होती, यह उनकी राय होती है. इसके बाद ऑडिट रिपोर्ट पर राज्य सरकार स्क्रूटनी करती है, इसीलिए इसे अंतिम निष्कर्ष कहना ठीक नहीं है। यह रिपोर्ट जब आती है तो अकाउंट सेक्शन की एक कमेटी होती है, वह इसमें अंतिम निर्णय करती है।

श्री मिश्रा ने कहा कि लोक लेखा समिति जो विधानसभा में विधायकों की होती है, जिसमें प्रतिपक्ष का व्यक्ति अध्यक्ष होता है, उनके पास भी यह रिपोर्ट जाती है। इसलिए यह कहना ठीक नहीं है कि यह रिपोर्ट अंतिम है। जानकारी के लिए बता दें कि बिहार में चारा घोटाला भी इसी तर्ज पर हुआ था. जांच में सामने आया था कि चारे की ढुलाई के लिए जिन गाड़ियों को ट्रक बताकर दर्ज किया गया था. पड़ताल में उनके रजिस्ट्रेशन बाइक और स्कूटर के निकले थे।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें




स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

[responsive-slider id=1811]

जवाब जरूर दे 

क्या बिहार में भाजपा जेडीयू गठबंधन टूट जाएगा?

View Results

Loading ... Loading ...

Related Articles

Close
Close
Website Design By Bootalpha.com +91 84482 65129