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कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स की तैयारी के लिए ध्यान रखें ये बातें

करोड़ों स्टूडेंट्स हर साल अनेकों कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स में भाग लेते हैं। सफलता के लिए सही तैयारी आवश्यक है। जब स्टूडेंट्स किसी भी कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी शुरू करते हैं, तो सपना होता है ‘जीतना’, यानी एग्जाम निकाल कर के अपनी सीट कन्फर्म करना।

अब सबसे जरूरी होता है ‘मॉक टेस्ट’ सॉल्व करना, जिससे असली एग्जाम का फील आए, और टाइम-बाउंड प्रैक्टिस बने। बस यहीं पर स्टूडेंट्स गड़बड़ कर देते हैं।

कैसे?

जब मॉक टेस्ट में सवाल गलत होने लगते हैं तो स्टूडेंट्स निराश होकर, या घबरा के, अपनी तैयारी पर और अपनी क्षमता पर ही शक करने लगते हैं। कई स्टूडेंट्स सोचने लगते हैं कि मुझसे तो कुछ नहीं होगा, क्योंकि मॉक टेस्ट में ही नहीं हुआ तो असली एग्जाम तो छोड़ ही दो। यही बात क्लासरूम सवालों पर भी लागू होती है – टीचर ने पूछा और आप जवाब नहीं दे पाए, और दूसरे ने दे दिया। तो आप हो गए निराश।

और ऐसा अनेकों बार हुआ तो आपने लड़ना ही छोड़ दिया (‘लड़ना’ मतलब रेस में आगे बढ़ने की कोशिश करना)।

तीन प्रैक्टिकल बातें याद रखें:

आलवेज़ स्माइल डोंट क्राय – हर सवाल जो गलत चला गया, उस पर मुस्कुरा दें, रोएं नहीं – अपने आप को बोलें ‘चलो बढ़िया, अब असली एग्जाम में ये गलती नहीं करूंगा।’

एनालिसिस करें और सीखें – निराश होने के बजाय खुद से पूछें ‘कहां गलत गया मैं?’ और हर गलत हुए सवाल को दो-दो बार चेक करें, और कॉन्फिडेंट हो जाएं।

कमिटमेंट करें खुद से – मैं हिम्मत नहीं हारूंगी, मैं हौसला नहीं छोडूंगा। दृढ़ निश्चय के साथ लगे रहें
ये तीन बातें रोज करनी हैं, और आपको ही करनी है, कोई और नहीं करेगा।

अब हम डीटेल में एग्जाम्स की तैयारी में तीन बड़ी गलतियां जानेंगे। इनको ना दोहराकर सफलता आसान हो सकती है।

1: अपनी ताकत व कमजोरियों की सही-सही पहचान ना होना

सफलता के लिए हमें अपनी स्ट्रेंथ और वीकनेस का बिल्कुल सही-सही अंदाजा होना चाहिए। इसमें भी अपनी कमजोरियों को स्वीकार करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। तो मैथ्स के किसी टॉपिक को समझने में आप को प्रॉब्लम है, और उस टॉपिक के कुछ ही प्रश्न एग्जाम में पूछे जाने वाले हैं। आप पहले से यह बात समझ कर यह योजना बनाएं कि आप एग्जाम में इन प्रश्नों की ओर बिल्कुल ध्यान ही नहीं देंगे, उन्हें पढ़ने तक में समय नहीं गवाएंगे, और इस बचे हुए समय को अन्य प्रश्नों को बेहतर सॉल्व करने में लगाएंगे। यह आपकी स्ट्रेटेजिक जीत होगी। वैसे भी, कोई भी 100% प्रश्न सही नहीं ही करता है, लेकिन हल करने में समय वेस्ट करने के बाद उन्हें गलत कर देना आपकी हार है। यही बात किन्हीं दो विषयों के लिए भी सही हो सकती है।

2: मॉक और प्रैक्टिस टेस्ट का परफेक्ट एनालिसिस न करना

तैयारी करते वक्त दूसरी सबसे बड़ी गलती है दिए गए मॉक टेस्ट का प्रॉपर एनालिसिस नहीं करना। केवल मॉक टेस्ट में अपियर होना भर काफी नहीं है। यदि दो घंटे का टेस्ट है तो तीन से चार घंटे उसकी एनालिसिस में लगाना चाहिए। तीन तरह की गलतियां होती हैं-

(i) नॉलेज से सम्बंधित अर्थात ऐसे प्रश्न गलत हो गए या छूट गए जिनके बारे में आपको नॉलेज ही नहीं था।

(ii) स्किल्स बेस्ड अर्थात आपको कॉन्सेप्ट आता तो था लेकिन आपने उस प्रश्न को हल करने की प्रक्रिया में कहीं गलती कर दी (कैलकुलेशन मिस्टेक)।

(iii) स्ट्रेटेजी सम्बंधित अर्थात सॉल्व करने का ऑर्डर ठीक रखना।

3: पूरा प्रयास नहीं करना

आधे-अधूरे मन से किए गए काम में सफलता कम ही मिलती है। पहली बार में ही तय कर लें आप करना क्या चाहते हैं। फिर कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी में 100% लग जाएं। बिना किसी कारण बार-बार प्लान बदलना, टाइम मिस-मैनेजमेंट, एग्जाम सिलेबस फिनिश ना करना या बीच में से छोड़ देना, ये सब आधे-अधूरे इरादे के लक्षण हैं। एक्सपर्ट्स से सही गाइडेंस लीजिए। फुल कोर्स को कम से कम दो बार पूरा कर, उचित संख्या में मॉक और प्रैक्टिस टेस्ट दीजिए, उनका प्रॉपर एनालिसिस कीजिए। और खुश रहें, हंसते रहें और आगे बढ़ते रहें!

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