
कंकर से शंकर बनाता है संयमित जीवन : मुनि श्री
ग्वालियर। संयमी जीवन यात्रा मजदूर से मालिक बनने की है। कंकर से शंकर बनने की है। असंयमी व्यक्ति अपने जीवन को व्यसनों में गंवा देता है। जैसे बिना ब्रेक की गाडी़ से आपका जीवन असुरक्षित है, उसी प्रकार बिना संयम के आपके गुणों का कोई महत्व नहीं है। बिना संयम के आपका जीवन व्यर्थ चला जाता है। जो आत्मकल्याण करना चाहते हैं वे संयम का पालन अवश्य करते हैं। उक्त उद्गार पर्यूषण पर्व के छठवें दिन सोमवार को मुनि श्री विनय सागर महाराज ने माधवगंज स्थित चातुर्मास स्थल अशियाना भवन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।मुनिश्री ने कहा कि संयम जिसके पास होता है वह विषयभोगों से मुक्त होकर शांति को महसूस करता है। शरीर की स्वस्थता, मन की पवित्रता, संस्कारों की प्राप्ति के साथ निरोगी काया मिलती है। जिनका आचरण संतुलित नहीं होता वे बिना ब्रेक की गाडी़ के समान हैं। आत्मतत्व को पाना चाहते हो तो संयम रूपी लगाम का होना आवश्यक है। बिना संयम के हमारा मन भी इधर-उधर भटक कर असंयम में अपने जीवन का अकल्याण कर सकता है। रात्रि में हो रहे सास्कृतिक कार्यक्रम में जैन मिलन विहर्ष महिला माधवगंज की ओर से सती मैना सुंदरी नाटक का मंचन किया गया।
पर्युषण पर्व पर कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रुप में पधारे मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के भतीजे डॉ विवेक मिश्रा ने मुनि श्री से आशीर्वाद लेते हुए तत्काल कहा की जैन दर्शन कहता है कि जिओ ओर जीने दो यही जैन धर्म का मूल मंत्र है। हमेशा मुझे मुनिराजों का आशीर्वाद समय समय मिलता रहता है।
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