
मुफ्त उपहार एक अहम मुद्दा: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, 23,अगस्त। फ्रीबीज,(मुफ्त की रेवड़ी) मामले पर देश के शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुऐ कहा कि गरीबी के दलदल में फंसे इंसान के लिए मुफ्त सुविधाएं और चीजें देने वाली स्कीमें महत्वपूर्ण हैं।सवाल यह है कि इस बात का फैसला कौन लेगा कि क्या चीज मुफ्तखोरी के दायरे में आती है और किसे जनकल्याणकारी माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम चुनाव आयोग को इस मामले में अतिरिक्त शक्ति नहीं दे सकते।
अदालत ने कल भी इस मामले पर सुनवाई करने की बात कही है। अदालत ने कहा कि मुफ्त उपहार एक अहम मुद्दा है और इस पर बहस किए जाने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा,
‘मान लीजिए कि अगर केंद्र सरकार ऐसा कानून बनाती है जिसके तहत राज्यों को मुफ्त उपहार देने पर रोक लगा दी जाती है, तो क्या हम यह कह सकते हैं कि ऐसा कानून न्यायिक जांच के लिए नहीं आएगा। ऐसे में हम देश के कल्याण के लिए इस मामले को सुन रहे हैं।
कोर्ट के पास आदेश जारी करने की शक्ति लेकिन….
सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले को लेकर याचिकाकर्ता की ओर से दायर की अर्जी पर सुनवाई हुई, जिसमें चुनाव में मुफ्त सुविधाओं का वायदा करने वाली राजनीतिक पार्टियो की मान्यता रदद् करने की मांग की गई है। चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट के पास आदेश जारी करने की शक्ति है, लेकिन कल को किसी योजना के कल्याणकारी होने पर अदालत में कोई आता है कि यह सही है, ऐसे में यह बहस खड़ी हो जाएगी कि आखिर न्यायपालिका को क्यों इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।
‘मुफ्त सौगात को पहचानने की जरूरत’ सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले कहा था कि हम यह फैसला करेंगे कि मुफ्त की सौगात क्या है। अदालत ने कहा कि क्या सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल, पीने के पानी तक पहुंच, शिक्षा तक पहुंच को मुफ्त सौगात माना जा सकता है। हमें यह परिभाषित करने की आवश्यकता है कि एक मुफ्त सौगात क्या है। क्या हम किसानों को मुफ्त में खाद, बच्चों को मुफ्त शिक्षा के वादे को मुफ्त सौगात कह सकते हैं। सार्वजनिक धन खर्च करने का सही तरीका क्या है, इसे देखना होगा।।
सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल न्याय मित्र के तौर पर जबकि अभिषेक मनु सिंघवी आम आदमी पार्टी की ओर से और विकास सिंह याचिकाकर्ता के वकील के तौर पर पेश हुए। केस की सुनवाई कर रही सुप्रीम अदालत में चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना के साथ जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली शामिल थीं।
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