तलवार से तलवार का मुकाबला करने पर दोनों हार जाती हैं :मुनिश्री
नरवर। क्रांतिवीर मुनि श्री प्रतीक सागर के पावन सानिध्य में नरवर शहर में प्रथम बार भक्ति का इतिहास रच गया। एक साथ 23 विमानों में 23 तीर्थंकर 23 वे तीर्थंकर भगवान पार्श्व नाथ के मोक्ष कल्याणक पर भव्य जुलूस निकाला गया। जिसे देखकर जैन ही नहीं गैर जैनों की जुबान पर बस एक ही चर्चा थी। आज के पहले ऐसा कभी नहीं देखा। आधा किलो मीटर लंबा जुलूस जिन मार्गों से गुजरा रास्ते थम गए।
बग्गी,घोड़े,बैंड और उत्साह के साथ महिलाएं और बालिकाएं डांडिया करते हुए जुलूस में सम्मिलित हुई। पारसनाथ भगवान की जय मुनि श्री प्रतीक सागर की जय से पूरा नगर गुंजायमान हो उठा। जुलूस मुख्य मार्गो से होता हुआ सभा स्थल समोशरण सभा मंडप गांधी चौक रोड पहुंचा।
मुनि श्री प्रतीक सागर ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जो कहते हैं वह तीर्थंकर नहीं होते हैं जो आचरण में जी का सिखाते हैं वह तीर्थंकर कहलाते हैं तीर्थंकर बातों के बादशाह नहीं आचरण के आचार्य होते हैं। भगवान पार्श्व नाथ के ऊपर कमठ के जीव ने 10 भव तक कष्ट दिया। मगर पारसनाथ में उन्हें क्षमा प्रदान की।
धैर्य और क्षमा के जीते जागते उदाहरण भगवान पार्श्व नाथ इसलिए वर्तमान में शासन काल तीर्थंकर महावीर का चल रहा है। नगर भारतवर्ष में सबसे अधिक मंदिर और तीर्थ भगवान पारसनाथ के नाम से है। तलवार से तलवार का मुकाबला करने पर दोनों हार जाती है मगर जब तलवार का रेशम से मुकाबला होता है तो तलवार हार जाती है रेशम जीत जाती है। कितना भी खूंखार व्यक्ति क्यों ना हो मैं प्रभु के चरणों में आकर शांत हो जाता है। यही कमठ के साथ हुआ।
भगवान पारसनाथ 10 भवो में कमठ के जीव के अपराधों को माफ कर सकते हैं तो उनके मानने वालों इस भव मैं जिनके साथ लड़ाई झगड़ा हुआ है उनके साथ क्षमा मांग कर पारसनाथ के आदर्शों पर चलने की प्रेरणा लेना चाहिए।
रक्षाबंधन को वात्सल्य दिवस के रूप में मनाया जाएगा
मुनि श्री प्रतीक सागर के पावन सानिध्य में 11 अगस्त को रक्षाबंधन महापर्व को वात्सल्य दिवस महोत्सव के रूप में मनाया जाएगा। सुबह 9 बजे सभी जैन श्रावक अपने घरों में भक्ति भाव पूर्वक शुद्ध भोजन बनाकर मुनि श्री का पडगहन करेंगे। दोपहर 2 बजे मुनि श्री के सानिध्य में 7 सौ से ऊपर चढ़ा कर कंपन आचार्य आदि मुनियों की पूजन की जाएगी तथा सामूहिक रक्षाबंधन एवं मुनि श्री के पिछीं मैं राखी बांधी जाएगी। खीर का वितरण किया जाएगा।
23 जिनेंद्र भगवान की प्रतिमाओं का 23 इंद्रो द्वारा मस्तकाभिषेक
जहां सुंदर कृत्रिम सम्मेद शिखर पर्वत के सामने 23 जिनेंद्र भगवान की प्रतिमाओं को विराजमान कर मुनि श्री के मंत्र उच्चारण के साथ 23 इंद्रो ने 46 कलशों से अभिषेक किया। भगवान पारसनाथ की प्रतिमा पर शांति धारा करने का सौभाग्य गोपाल दास विमल जैन जिनेंद्र जैन लोहिया परिवार नरवर को प्राप्त हुआ मुख्य निर्वाण लाडू 32 किलो का समर्पित करने का सौभाग्य मदन लाल पारस जैन मगरोनी वाले को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर भगवान पार्श्व नाथ की संगीतमय भक्ति नृत्य करते हुए अष्ट द्रव्य चढ़ाकर पूजन की गई।
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